हरिद्वार ऋषिकेश दर्शन- Haridwar Rishikesh Darshan
आज की यात्रा बड़ी खास होने वाली है और अगर आप वीकेंड फॅमिली ट्रिप प्लान करते हैं तो आपको काफी कुछ जानने को मिलेगा तो बने रहिये वीडियो के अंत तक और हमारे साथ कीजिये हरिद्वार ऋषिकेष यात्रा
” हर हर गंगे “
यात्रा की शुरुआत कुछ ऐसे थी कि कुछ दौस्तों के साथ अचानक प्लान बना और हम निकल पड़े बैग पैक करके हरिद्वार और ऋषिकेश को। हर ट्रिप ट्रेवल एजेंट से करवाना जरूरी नहीं और ये भी कुछ ऐसा ही था, न ज्यादा सोचा न कोई होटल बुक था बस निकल पड़े मां गंगा से मिलने।
फ्राइडे की शाम को ४ बजे हम लोग निकल पड़े मेरट एक्सप्रेसवे से होते हुए हरिद्वार की ओर। इस ट्रिप में ३ फॅमिली जिसमें ४ बच्चे और ६ एडल्ट्स थे. लगभग २ hr के सफर के बाद एक जगह मिली – मंसूरपुर ( मुफ्फफ्नगर से लगभग १० km पहले ) जो हमारा पहला स्टॉप था।
यहाँ पर खाने के काफी सारे options अवेलेबल हैं। प्रमुख रूप से
हल्दीराम , White Cub, हाईवे कंफर्ट , नमस्ते द्वार , चाय का नुक्कड़ , गारवी रसोई , स्टारबक्स , नैवेद्यम एंड MCD का ऑप्शन भी मिल जाता है।
गारवी रसोई पर एकतारा पर सुनिए एक सुन्दर धुन आपकी सेवा में ……
आगे सफर बढ़ता रहा लेकिन हरिद्वार में रुकने का कोई होटल बुक नहीं था थोड़ा अडवेंचर लगा, फिर लगा चलो देखते हैं और देखते देखते हम पहुंच गए दीनदयाल पार्किंग हरिद्वार।
जहाँ से हर की पौड़ी मात्र १० mins की दूरी पर है। कार को पार्क किया और सामान लेकर हम चल दिए हर की पौड़ी की ओर। माँ गंगा के दर्शन होते ही सारी थकान ख़तम हो गयी। सामने थी हर की पौड़ी और हमारे कदम थे उस पावन धरती पर जिसे हरिद्वार कहते हैं।
इंसान का वो दिन त्यौहार होता है,जितने दिन वो हरिद्वार में होता है।
हरिद्वार भारत के उत्तराखंड राज्य का एक जिला है। यह स्थान हरिद्वार है जहां गंगा नदी, अपने उद्गम स्थान गौमुख (गंगोत्री तीर्थ) से 250 किमी की दूरी तय कर पहुँचती है, इसके बाद माँ गंगा उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है।
धर्म में आस्था रखने वाले हर हिन्दू-परिवार की इच्छा जरूर होती है की वो एक बार यहाँ पर गंगा स्नान करे।
चार पवित्र मंदिर यमुनोत्री , गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम जाने से पहले इसी द्वार से जाना होता है। हरि तक पहुंचने का द्वार है, हरिद्वार।
राजा विक्रमादित्य के भाई भर्तुहरि ने भी यहीं तपस्या की थी। उनकी याद में, राजा विक्रमादित्य ने यहां एक “पौड़ी”/सीढ़ियां बनवाईं, जो बाद में हर की पैड़ी या हर-की-पौड़ी के नाम से प्रसिद्ध हुई। .
हरिद्वार का उल्लेख विभिन्न प्राचीन भारतीय ग्रंथों में मायापुर, कपिलस्थान, मोक्षद्वार या गंगाद्वार और एक प्रमुख तीर्थ नगर के रूप में वर्णित किया है।
हरिद्वार के पंडितों (पुजारियों) को अधिकांश हिंदू आबादी के वंशावली अभिलेख रखने के लिए भी जाना जाता है। वे हरिद्वार में श्राद्ध आदि के लिये आने वाले लोगों की वंशावली लिखित रूप में व्यवस्थित रखते हैं। ये वंशावलियाँ कभी-कभी मुकदमों के निपटाने में भी सहायक होती हैं।
इस धर्मनगरी में मनसा देवी, चंडी देवी, भारत माता मंदिर , कनखल , गुरुकुल कांगड़ी कॉलेज और BHEL का प्रसिद्ग औद्योगिक संस्थान भी है।
मन कुछ और देर गंगा घाट पर बैठने का था, पर फॅमिली के साथ आपको आगे भी सोचना पड़ता है। फ़िलहाल समय हो रहा था ९:३० PM और हमारे पास रहने के लिए कोई रूम नहीं था इसलिए फिर निकल पड़े रूम की खोज में।
हमें डिनर में टाइम थोड़ा ज्यादा हो गया तो पास के ही एक छोटे से होटल से हमने डिनर किया। ८० rs थाली जिसमें सब्ज़ी कड़ी,३ रोटी और चावल था जो एक व्यक्ति के लिए काफी था। क्वालिटी की बात करें तो रेटिंग एवरेज है । इसके अलावा हर तरह का नार्थ इंडियन फ़ूड आपको हरद्वार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। तो उसके लिए तो कोई चिंता की बात है ही नहीं। फिर रात्रि विश्राम करते हैं, क्योंकि कल मॉर्निंग में गंगा स्नान करना और फिर ऋषिकेश को भी निकलना है।
आज़ का दिन trip के लिहाज़ से बड़ा imp है क्योंकि गंगा स्नान के बाद ऋषिकेश भी निकालना है । यही सोचकर सभी ने गंगा स्नान किया और मॉर्निंग आरती भी अटेण्ड की।
यू ही नहीं इसे हरिद्वार कहा जाता है। पानी मटमैला लेकिन अमृत के समान। लोग चुल्लू / हथेली में पानी लेकर पीते दिखे और क्यों ना हो इससे शुद्ध और कुछ नहीं । गंगा स्नान के बाद नाश्ता हुआ छोटीवाला restaurant हरिद्वार में, बढ़िया नाश्ता किया । एप्रोक्स ११०० का बिल आया।जिसका भुक्तान / निपटारन करने के बाद, अब टाइम था हरिद्वार से चेकआउट करने का ।
समान लिया और कार में बैठे और गंगा माँ। को प्रणाम करके निकल गये आगे के सफ़र में ऋषिकेश की ओर।
ऋषिकेश जाने के २ मार्ग हैं जिसमें एक सड़क नहर के पैरेलल निकलती है और दूसरी highway
हमने गूगल देव को फॉलो किया और नहर रोड पकड़ ली । यह सड़क सिंगल है और चौड़ाई कम है लेकिन, इससे दिखने वाले दृश्य बेहद मोहक थे । अपने मोबाइल पर सभी ने पिक्चर्स एंड वीडियोस capture किए और ह्वाट्सऐप स्टेटस अपडेट करते कराते आगे बड़ते रहे। ख़ास टिप्स ये है की ऋषिकेश आते या जाते समय एक बार इस रूट से ज़रूर ज़ायें ।
एक बात, तो अब तक ट्रिप में साफ़ थी, कि कभी-कभी अचानक भी घूमने निकल लेना चाहिए ।
घूमते फिरते पहुंचे ऋषिकेश
वही ऋषिकेश जो दो शब्दों के संयोजन से बना है , “ऋषिक” और “एश” | “ऋषिक” का अर्थ है “इन्द्रिया” और “एश” का अर्थ है “भगवान या गुरु”
वही ऋषिकेश जिसे भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक कहा जाता है।
वही ऋषिकेश जिसे ‘योग कैपिटल ऑफ़ द वर्ल्ड’ के रूप में जाना जाता है।
वही ऋषिकेश जिसे भारत में बंजी जंपिंग शुरू करने वाला पहला शहर भी है।
वही ऋषिकेश जिसे केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेश द्वार भी माना जाता है।
और वही ऋषिकेश जहां भगवान शिव ने समुद्र मन्थन से निकला विष ग्रहण किया गया था।
फिर जब आप ऐसी जगह पर हो तो जल्दी से घूमना तो बनता है ।
हम लोग पहुँच गये अपने होटल पर जहां हमने दिन में लगभग २ बजे चेक इन किया । होटल की लोकेशन शुरुआत में तो तो थोड़ा अजीब जरुर लगा पर इससे अच्छा होटल, शायद इतने कम टाइम में मिलना मुश्किल था।
होटल का इंटीरियर व्यू कुछ ऐसा था। टीवी, AC , गीज़र और लगभग सभी बेसिक सुविधाओ के साथ ग्राउंड फ्लोर पर कैफ़े और खाने की सुविधा थी। [Add text – Hotel charges]
हमारा रूम माउंटेन व्यू साइड पे था, हालांकि हमने होटल रूम से ही, माउंटेन से जयादा, बारिश और बादलों को एन्जॉय किया।
फिर लेट लंच होटल में ही किया । Taste was good पर सर्विसेज में थोड़ा डिले जरूर था । और ये शायद वीकेंड के रश की वजह से भी हो सकता है । may be आप ये प्रॉब्लम फेस ना करें।
फिर पैर कहा होटल में रुकने वाले थे, निकल पड़े ऋषिकेश दर्शन को…
यहां बात कर लेते हैं कुछ मस्ट विजिट प्लेसेस की जिन्हें आपको अपनी लिस्ट में जरूर रखना चाहिए ।
राम झूला
राम झूला, ऋषिकेश में गंगा नदी पर बना एक लोहे का झूला पुल है। यह टिहरी गढ़वाल ज़िले में मुनि की रेती के शिवानंद नगर क्षेत्र को पौड़ी गढ़वाल ज़िले में स्वर्गाश्रम से जोड़ता है। 1986 में बना यह पुल ऋषिकेश के सर्वाधिक पहचाने जाने वाले स्थानों में से एक है। राम झूले की संरचना व बनावट गंगा पर 2 किमी आगे जाकर बने हुए लक्ष्मण झूले जैसे हैं, लेकिन 230 मीटर (750 फीट) लम्बा राम झूला इन दोनों में से बड़ा पुल है।
लक्ष्मण झूला
लक्ष्मण झूला गंगा नदी के ऊपर बना एक प्रसिद्ध हैंगिंग ब्रिज है, जो टिहरी गढ़वाल जिले के तपोवन और पौड़ी गढ़वाल जिले के जोंक को जोड़ता है। लक्ष्मण झूला ऋषिकेश शहर के उत्तर-पूर्व में 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पूरा पुल लोहे से बना हुआ है और यह 450 फुट लंबा और गंगा नदी से 70 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। फिलहाल इसे आवागमन के लिए बंद किया गया है। माना जाता है कि भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसी स्थान पर गंगा नदी को पार किया था, जहां अब यह पुल पर्यटकों के लिए बनाया गया है।
परमार्थ निकेतन – यह भारत का सबसे बड़ा योग स्थान है और सबसे बड़ा आश्रम भी है, जोकि गंगा नदी के तट पर स्थित है। यह 70 साल से ज्यादा समय से समृद्ध है। इसे 1942 में स्वामी शुक्देवानंद सरस्वती जी ने स्थापित किया। यह आश्रम सभी के लिए है। यहाँ संध्या की, गंगा जी की महाआरती भी बहुत प्रसिद्ध है.
नीलकंठ महादेव मंदिर – ऋषिकेश से 32 किमी दूर भगवान् शिव का बहुत ही प्राचीन मन्दिर है। जो तीन घाटियों से घिरा हुआ है, मणिकूट, ब्रम्हाकूट और विष्णुकूट। यही वह स्थान है, जहां पर भगवान ने हलाहल विषपान किया था।
त्रिवेणी घाट – यह तीन पवित्र नदियों का संगम है गंगा, यमुना और सरस्वती। यहाँ लोग स्नान करने आते है, यह बहुत प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है.
गीता भवन – ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम में गंगा नदी के तट पर एक बहुत बड़ा काम्प्लेक्स है। इस काम्प्लेक्स में बहुत से हॉल और 1000 कमरे है, जिसमें भक्त मुफ्त में बिना किसी परेशानी के आसानी से रह सकते है।
भरत मंदिर – लगभग 12वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया मंदिर । गंगा नदी के तट पर ऋषिकेश के हृदय में स्थित है। इस मंदिर के पवित्र स्थान में भगवान् विष्णु की प्रतिमा है।
रघुनाथ मंदिर – भगवान् श्री राम और मां सीता को समर्पित है यह मंदिर बहुत दर्शनीय है। यह सभी जरुरी धार्मिक जगहों में से एक है।
त्रयम्बकेश्वर मंदिर – यह प्रसिद्ध मंदिर गंगा नदी की तट पर स्थित है। इसकी 13 मंजिले है और हर मंजिल में बहुत सारे हिन्दू देवी-देवता विराजमान है।
वशिष्ठ गुफा – ऋषि वशिष्ठ भगवान ब्रम्हा के मानस पुत्र थे और ये 7 सप्तऋषियों में से एक थे। यह वही प्राचीन गुफा है । जहां ऋषि वशिष्ठ ध्यान किया करते थे। यह गुफा ऋषिकेश से लगभग 25 किमी दूर बद्रीनाथ रोड में स्थित है।
मुनि की रेती – यह छोटी सी जगह है जो की ऋषिकेश के पास ही स्थित है। मुनि की रेती बहुत से मंदिरों, योग और ध्यान के लिए प्रसिद्ध है और यह आयुर्वेद का घर है। यह भी गंगा नदी के तट पर स्थित है।
बीटल्स आश्रम – यह महर्षि महेश योग आश्रम है जोकि बीटल्स आश्रम के नाम से प्रसिद्ध है। 1968 में इस आश्रम ने प्रमुखता प्राप्त की थी, उसके बाद विश्व के प्रसिद्ध संगीतकार की टोली इसी आश्रम में रुकी थी। उन्होंने यहाँ ध्यान के लिए प्रशिक्षण लिया। इसलिए यह बीटल्स आश्रम के नाम से प्रसिद्ध है।
ऋषिकेश के एडवेंचर स्पॉट्स (Rishikesh adventure sports) –
ऋषिकेश में बहुत से एडवेंचर स्पॉट्स है। यहाँ का सबसे प्रसिद्ध सफेद वॉटर राफ्टिंग है, जोकि देश और विदेश दोनों जगह प्रसिद्ध है। यहाँ राफ्टिंग करने का मौसम मार्च में शुरू होता है और मानसून में बंद रहता है । राफ्टिंग के अलावा बैकपैकिंग, बन्ज़ी जम्पिंग, हाईकिंग, कयकिंग, मोऊटेन बाइकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, राप्प्लिंग और ज़िप लाइनिंग आदि है।
ये थे कुछ ख़ास नाम जिन्हें आप अपनी लिस्ट में रखें। अलग अलग सोसिअल मेडिउम में ये रैंकिंग अलग अलग हो सकती है। लेकिन सभी spots अपने आप में ख़ास हैं।
हम भी चाहते तो थे। ये सब देखना लेकिन समय के अभाव में हमने राम झूला और पास के जगहों को ही फिलहाल इस ट्रिप में अपनी लिस्ट में रखा। आने वाले समय में हम इन जगहों को भी कवर करने की कोशिश करेंगे।
होटल से निकलते ही हमने परमार्थ निकेतन वाले मार्ग से चलना शुरू किया।
परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसकी स्थापना 1942 ई० में स्वामी सुकदेवानन्द ने की थी।
बाद में इस आश्रम के अध्यक्ष के रूप में स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती को चुना गया। यह आश्रम गरीब और अनाथ बच्चों के लिए बनाया गया है। यहां पर बच्चों को वैदिक और पारंपरिक शिक्षा देने के साथ-साथ वेद का अध्ययन भी कराया जाता है।
आश्रम में भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा है, जिसे गंगा जी के बीच में बनाया गया है। इस स्थान पर पहले भगवान शिव की एक दूसरी प्रतिमा स्थापित की गई थी, लेकिन जून 2013 में आई प्राकृतिक आपदा में गंगा जी के बहाव में भगवान शिव की प्रतिमा भी बह गई, जिसके बाद उसी स्थान पर भगवान शिव की एक दूसरी विशाल प्रतिमा को और मजबूती के साथ बनाया गया है। और इस प्रतिमा को वर्तमान समय में इस आश्रम में देखा जा सकता है।
जिस तरह हरिद्वार में गंगा जी की आरती हर की पौड़ी में होती है, उसी तरह गंगा जी की आरती परमार्थ निकेतन आश्रम में भी होती है।
आश्रम के अंदर प्रवेश करने के बाद आपको सुंदर मूर्तियां, जिन्हें पौराणिक कथाओं के आधार पर बनाई गई है, देखने को मिलेगी और साथ ही पर्वत, देवताओं के विशाल मूर्तियां एवं उनके प्रतिबिंब देखने को मिलेंगे। यह आश्रम काफी अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसे बाहर और अंदर दोनों तरफ से देखने पर बेहद खूबसूरत लगता है। इस आश्रम के अंदर चारों ओर हरियाली ही हरियाली है, जिसे देखने के बाद , एक अलग ही जगह का अनुभव होता है। इस आश्रम में आपको आस-पास बाहरी देशों के लोग भी सनातन रंग में डूबे नजर आते हैं ।
आश्रम में आप नि:शुल्क प्रवेश कर सकते हैं । अगर आप आश्रम में कमरा बुक करना चाहते हैं, तो घूमने की तारीख से 10 से 15 दिन पहले ई-मेल और फोन पर कमरा बुक कर सकते हैं। जब आपके पास कन्फर्मेशन मेल आ जाएगा, तब एक बार फिर से फोन पर रूम बुकिंग के बारे में जरूर पूछ लें। ऋषिकेश में आपको कई आश्रम दिख जाएंगे, जहां आप आराम से ठहर सकते हैं। इन कमरों की बुकिंग के लिए खर्च प्रति रात 350 रुपए है।
परमार्थ आश्रम से थोड़ा आगे राम झूला की ओर बढ़ रहे थे तो बायीं ओर माँ गंगा के पावन दर्शन भी हो रहे थे। नजारा बड़ा ही भव्य था और शायद इसीलिए ऋषिकेश इतना बड़ा तीर्थ स्थल है। शाम का लगभग ६ बजे का समय था और फिर राम झूला पर लोगों की आवाजाही में , हम भी चल दिए । कुछ लोग दुपहिया वाहन से चल रहे थे तो कुछ लोग पैदल ही प्रकृति का लुत्फ़ ले रहे थे।
बहरहाल राम झूला, ऋषिकेश के मुख्य स्थानों में से एक है । जहां पर आपको आश्रम , घाट और नदी में राफ्टिंग करते हुए पर्यटक आसानी से दिख जायेंगे। अगर आप राम झूला के पास खाने के लिए कोई जगह देख रहे हों तो फिर चोटीवाला रेस्टोरेंट आपको पास में ही मिल जायेगा। आस पास ही आपको खाने के कुछ और options और चाय या स्नैक्स आराम से मिल जाता है। साथ ही अगर आप शॉपिंग के शौक़ीन हैं तो कुछ देर आप यहां समय व्यतीत कर सकते हैं।
शाम को राम झूला का नज़ारा और शाम को गंगा जी की आरती का देखने लायक होती है। जगह-जगह लोग नदी में डुबकियां लगा रहे थे, लगभग सभी घाटों पर शाम की आरती का वक़्त भी था और कुछ देर, हम लोग भी घाट से माँ गंगा को निहार रहे थे । और धन्यवाद् करते हुए की आपने दर्शन दिए। हमने भी आरती अटेंड की और फिर घर की ओर वापस बढे।
ऋषिकेश में मौसम और यहां आने की बात करें तो अक्टूबर से फरवरी तक घुमने के लिए बहुत ही अच्छा है, इस समय लोग राफ्टिंग का आनंद उठा सकते है।
मार्च से जून तक में यहाँ का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस होता है. इस समय बहुत गर्मी की वजह से लोग ज्यादा नही आते। किन्तु शाम के समय यहाँ ठंडक रहती है और लोग इस समय आनंद का अनुभव करते है। यहाँ मानसून (जून से सितम्बर तक) में लोग बारिश का मजा लेते है परन्तु इस मौसम में राफ्टिंग नही होती।
लौटते हुए गीता भवन का भ्रमण किया। ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम में गंगा नदी के तट पर एक बहुत बड़ा काम्प्लेक्स है। इस काम्प्लेक्स में बहुत से हॉल और 1000 कमरे है, जिसमें भक्त मुफ्त में बिना किसी परेशानी के आसानी से रह सकते है.
फिर सभी को थकान सी लगने लगी और अब सभी ने आराम करने की इच्छा की तो चल दिए होटल की ओर।
वही खाना खाकर आराम किया।
नेक्स्ट डे (Day-4)
दिन रविवार, आज निकलना है वापस दिल्ली को , और गूगल पर टाइम दिखा रहा था अप्प्रोक्स ५ hrs. decide हुआ की ब्रेकफास्ट के बाद निकलते हैं पर फिर बरसाती मौसम ने निकलने नहीं दिया और निकलते हुए दिन के लगभग १२ बज गए थे, हमने इस बार नेशनल highway लिया और चल दिए दिल्ली की ओर।
और हमारी तरह ऐसे बहुत लोग थे जो प्लानिंग या बिना प्लानिंग के सही कुछ समय अपने परिवार के साथ हरिद्वार और ऋषिकेश के यात्रा पर आये थे। हरिद्वार तक तो हमें भी काफी ट्रफिक का सामना करना पड़ा लेकिन हम सभी खुश साथ-साथ थे और माँ गंगा का आशीर्वाद लेकर लौट रहे थे। रास्ता भी एन्जॉय करते हुए हम लोग दिल्ली की ओर बढ़ते रहे। सफर लगभग समाप्ति की ओर था लेकिन उत्साह अभी भी बरकार था और क्यों न हो आखिर हम लोग इस यात्रा से गंगाजल के साथ-साथ कुछ यादें अपने साथ लेकर आये थे। जो हमें इस सफर को भूलने नहीं देंगी।
तेरे दर पर फिरसे आऊंगा
मेरा वो दिन विशेष होगा
एक होगा हरिद्वार और
दूसरा ऋषिकेश होगा।
हर हर गंगे
लेखक : हेम गयाल।
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